सामाजिक मंथन
ये विशविए समाज , किस दौर पर है ,
ऐसा लगता है कोई मंथन है !
एक समाज का दुसरे समाज से मिलन ,
क्या ये एक शारीरिक संबंद है समाजो का !!
एक समाज की खुबियाँ दूसरा समाज सीखता है ,
और दूसरा पहले की !
भारितीय 'spirituality' का पाश्चात्य विज्ञान से मिलन,
और मिलन पाश्चात्य का भारितीय 'योग' से !!
ये जो जिंदाबाद-जिंदाबाद करते हैं ,
हैसियत क्या है , इनकी ??
कर्महीन बत्थोद-बडबोल ये ,
इनकी तो बोल में भी मधुरता नहीं !!
ये सियासी कर्महीन लोग ,
नासूर - ऐ - समाज , आदम -खोरी के सरदार !
धुर्रे-ऐ-बर्बादी के ये मालिक ,
विनाश इनका एक नज़र-ऐ-हंगामा बनने को बेक़रार !!